Success Story Of Yogesh Joshi Rapid Organic : आप अगर खेती में हाथ आजमाना चाहते हैं तो जीरे की खेती भी कर सकते हैं. इसके अलावा भी बहुत सी ऐसी खेती हैं जिनसे आपको काफी फायदा हो सकता है. इसमें सौंफ, धनिया, मेथी व कलौंजी जैसी चीज़ें शामिल है. राजस्थान के जलोर जिले के योगेश जोशी को इन खेती से सालाना 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का टर्नओवर होता है. जिसमें लगभग 3000 से ज्यादा किसान उनके साथ जुड़े हैं. करीब 4 हजार एकड़ की जमीन पर वे ये खेती कर रहे हैं.
खेती-बाड़ी की जगह नौकरी करना आजकल आम चलन हो गया है। लेकिन हमारे ही देश में कई किसान ऐसे भी हैं, जो खेती से ही करोड़ों कमा रहे हैं। ऐसे ही एक किसान राजस्थान के जालौर जिले के रहने वाले योगेश जोशी हैं। योगेश के घरवाले चाहते थे कि वो सरकारी नौकरी करें। हालांकि, उनका मन खेती-बाड़ी में ही अपना भविष्य तलाश रहा था। उन्होंने अपने घरवालों के लाख समझाने के बाद भी सरकारी नौकरी में जाने का एक बार भी नहीं सोचा।
Success Story Of Yogesh Joshi Rapid Organic
ऑर्गेनिक फार्मिंग में डिप्लोमा- योगेश सरकारी नौकरी करना चाहते थे. जहां एग्रीकल्चर से ग्रेजुएशन करने के बाद वे इस क्षेत्र में नौकरी का प्रयास करना चाहते थे. उन्हें डर था खेती में कुछ नहीं हुआ तो क्या होगा. लेकिन उनका खेती करने का इरादा था. कुछ समय बाद उन्होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग में डिप्लोमा किया. जिसके बाद 2009 में उन्होंने खेती करना शुरू कर दिया. उन्हें इस बारे कोई ज्यादा जानकारी नहीं थी. जैसे सबसे बड़ा सवाल था कि खेती के लिए उन्हें कौन फसल लगानी चाहिए. जिसपर उन्होंने काफी रिसर्च की और इसके बाद जीरे की खेती करने का फैसला लिया. क्योंकि जीरा कैश क्रॉप है, इसे कभी भी बेच सकते हैं.
कृषि वैज्ञानिक से ली ट्रेंनिग
योगेश जोशी का कहना है कि पहली बार उन्होंने जीरे की खेती एक एकड़ जमीन पर की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिल पाई. ज्यादा जानकारी न होने के कारण उन्हें काफी ज्यादा नुकसान हो रहा था. इसके बाद कृषि वैज्ञानिक की मदद ली. इन कृषि वैज्ञानिक ने योगेश के साथ और भी कई किसानों को खेती की ट्रेंनिग दी. जिसके बाद जीरा उगाया और इससे खूब मुनाफा भी हुआ. और खेती का दायरा भी बढ़ा दिया. साथ ही और भी फसलों की खेती शुरू कर दी.
2 बीघा खेत में शुरू की जीरे की जैविक खेती
राजस्थान के किसान योगेश जोशी ने ग्रैजुएशन के बाद आर्गेनिक फॉर्मिंग में डिप्लोमा किया। इसके बाद उन्होंने इस बात पर काफी रिसर्च की आखिर वो कौन-सी फसल होगी, जिसमें लागत कम और मुनाफा ज्यादा हो। काफी रिसर्च के बाद उन्होंने फैसला किया कि नगदी फसल जीरे की जैविक खेती करेंगे। इसके बाद योगेश ने अपने 2 बीघा खेत में जीरे की खेती शुरू की। पहली बार में उन्हें असफलता हाथ लगी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

विदेशों की कंपनियों के साथ कर रहे काम
योगेश ने ऑनलाइन मार्केटिंग के सारे टूल्स यूज किए. और आज वे कई बड़ी कंपनियों के संपर्क में है. वे न
केवल देश बल्कि विदेशों की कंपनियों के साथ भी काम कर रहे हैं. जिसमें जापान और अमेरिका शामिल है. जिनके साथ वे जीरा उगाते भी हैं और सप्लाई भी करते हैं.
योगेश का कहना है कि,’ऑर्गेनिक खेती को बिजनेस का रूप देने के लिए मैंने रैपिड ऑर्गेनिक कंपनी बनाई. जिसके जरिए मेरी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को इसमें जोड़ा जाए और उन्हें अच्छा मुनाफा दिलाया जा सके. शुरुआत में किसान हमारे साथ जुड़ने से कतराते थे, लेकिन अब वो खुद ही जुड़ने के लिए उत्सुक रहते हैं. ये हमारी लिए उपलब्धि है कि पिछले 5-7 वर्षों में हमारे समूह के 1-000 किसान ऑर्गेनिक सर्टिफाइड हो चुके हैं.’
ऑर्गेनिक खेती में बेहतर करिअर ऑप्शन
योगेश कहना है कि ऑर्गेनिक खेती में बेहतर करिअर ऑप्शन हैं. जो भी इस फील्ड में काम करना चाहता है, उसे दो-तीन साल समय देना चाहिए. अगर वह समय देता है तो जरूर कामयाब होगा. देश में ऐसे कई लोग हैं, जो इस फील्ड में शानदार काम कर रहे हैं. योगेश को केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से कई सम्मान मिल चुके हैं.

7 किसानों से शुरू हुआ सफर 12000 तक पहुंचा
इसके बाद योगेश ने जोधपुर के कृषि वैज्ञानिक डॉ. अरुण शर्मा से जैविक खेती की ट्रेनिंग ली। उसके बाद उन्होंने दोबारा जीरे की खेती शुरू की और उन्हें जबर्दस्त कामयाबी मिली। 7 किसानों के साथ मिलकर खेती की शुरुआत करने वाले योगेश के साथ अब 12000 से ज्यादा किसान जीरे की खेती कर रहे हैं।
10 लाख का टर्नओवर पहुंचा 60 करोड़
2009 में योगेश जोशी का सालाना टर्न ओवर 10 लाख रुपए था। उनकी फर्म रैपिड ऑर्गेनिक लिमिटेड का सालाना टर्नओवर अब 60 करोड़ से भी ज्यादा है। योगेश की खेती के तरीके के बारे में जब जापानी वैज्ञानिकों को पता चला तो उनके लोग आए और उसके बाद किसानों को जीरे का एक बहुत बड़ा ऑर्डर मिला। इसके बाद कंपनी ने जीरे के अलावा धनिया, सौंफ और मेथी की सप्लाई की। इसके बाद योगेश की कंपनी को अमेरिका से भी कुछ मसालों के ऑर्डर मिले। किसानों का ये ग्रुप अब जीरे के साथ ही सुआ, कलौंजी, चिया सीड्स, गेहूं, बाजारा, सरसों समेत पश्चिमी राजस्थान में आसानी से होनेवाली फसलों की जैविक खेती कर रहा है।